संभव है कि इसे योजना आयोग के उपाध्यक्ष और उदारीकरण के प्रमुख पैरोकार में से एक मोंटेक सिंह अहलुवालिया स्वीकार न करें लेकिन सच यह है कि आज राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में योजना आयोग की तुलना में मुंबई शेयर बाजार की भूमिका और हैसियत कहीं जयादा बड़ी और निर्णायक हो गयी है।